Saturday, 14 September 2019

ये दिल मांगे मोर

काजुओ इशीगुरो जापान के नोबेल पुरस्कार विजेता साहित्यकार हैं। वह अपने उपन्यास के कथानक में सत्य की खोज के लिए जाने जाते हैं। उनका अंदाज एक आध्यात्मिक खोजी की तरह होता है। वह कहते हैं, हमारे समाज की सबसे बड़ी दिक्कत है कि हम अपने भीतर के उलझावों को सुलझाने पर विचार नहीं करते। यह दौर है ‘कुछ और चाहिए’ का। हम संतुष्ट नहीं हैं। हमारी खोज हमेशा जारी है। अच्छा खाना, अच्छा पहनना, मनोरंजन के तमाम साधन थोड़ी देर अच्छे लगते हैं और फिर हमें कुछ और की जरूरत होती है। सामने चुटकुलों की भी भरमार है, पर हम हंसते हुए कम ही देखे जाते हैं। हमारा मन व्यर्थ की बातों में उलझा रहता है, यह जीवन के असली कारणों पर विचार ही नहीं करता। हमारी दिशा आंतरिक कम से कम होती है। उन्होंने एक किताब लिखी है- ऐन आर्टिस्ट ऑफ द फ्लोटिंग वर्ल्ड। इसका सूत्रधार एक वृद्ध जापानी चित्रकार है, जो अतीत में किए गए अपने कुकमार्ें के कारण घुटन महसूस करता है और वह अपने भीतर उतरता जाता है। उसके हाथ सत्य का सूत्र आता है। आज तो हमारे पास अपनी घुटन पर विचार करने तक की फुरसत नहीं। हॉर्वर्ड यूनिवर्सिटी के माइंड बॉडी मेडिकल इंस्टीट्यूट के डॉक्टर हर्बर्ट बेंसन कहते हैं कि विचारों को बदलना सीखना होगा, तभी जीवन को जिया जा सकता है। वह कहते हैं कि सेवा, भक्ति, प्रेम, निष्ठा, शांति, दया आदि से अपने को परिपूर्ण रखें। अपने अध्ययन में उन्होंने पाया कि जो ऐसा करते हैं, उनका अपनी सांस और शारीरिक गति पर भी नियंत्रण रहता है। वे कुछ और पाने से ज्यादा कुछ और देने की दिशा में आगे बढ़ते हैं।

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