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गुर्जर जम्मू कश्मीर राज्य का तीसरा व हिमांचल प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा जनजाति समुदाय है.. हिमांचल में हिंदू व मुस्लिम गुर्जरों के गोत्र समान है इनमे हिंदू धर्म की भांति गोत्र व्यवस्था पाई जाती है, समान गोत्र के गुर्जर आपस में बिरादर कहलाते हैं जिनमें विवाह निषेध होता है.. इस प्रकार गोत्र को एक कबीले के रूप में परिभाषित कर सकते हैं इन हिमालय राज्यों के गुर्जरों की सामान्य विशेषता है कि इनका परंपरागत व्यवसाय पशुपालन रहा है कश्मीर व हिमाचल में जनजाति का दर्जा प्राप्त होने के पश्चात गुर्जर उच्च पदों पर आसीन होने के साथ शिक्षा के क्षेत्र में भी आगे हैं किंतु इन्हीं की भांति कबीलाई विशेषता. पंचायत. बोली इतिहास संस्कृति की समानता रखने वाले उत्तराखंड के गुर्जर अल्पसंख्यक श्रेणी में आते हैं..वनों के बीच दुनिया की चकाचौंध से दूर रहने के कारण इनका जीवन काफी पिछड़ा हुआ है.. उनके परिवार के सदस्य पशुपालन व्यवसाय में संलग्न रहते हैं शिक्षा प्राप्ति की ओर इनका रुझान कम है.. अशिक्षा तथा वनों के बीच स्थाई पता ना होने के कारण गुर्जर सरकारी नौकरियों मैं प्रतिभाग नहीं कर पाते जिस कारण वह सामाजिक रूप से पिछड़े हैं.वनों के बीच कच्ची सड़कों संचार की सुविधा ना होने के कारण इन्हें शिक्षा स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं से दूर रहना पड़ता है इनके परिवार में अधिक संख्या में बच्चे होते हैं जो पशुपालन व्यवसाय में संलग्न रहते हैं शिक्षा प्राप्त करने मैं इनकी रूचि कम होती है जिस कारण आज भी उत्तराखंड का वन गुर्जर समुदाय अन्य राज्यों के गुर्जरों की तुलना में पिछड़ा हुआ है..